गरीब कर्जदारों को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट का बड़ा निर्णय, अदालत ने “कहा गरीब होना नहीं है कोई अपराध”
मध्य प्रदेश के गरीब कर्जदारों को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट ने लिया बड़ा निर्णय अदालत ने कहा गरीब होना कोई अपराध नहीं है
गरीब कर्जदारों को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) ने बड़ा निर्णय लिया है जिसमें निचली अदालत द्वारा जेल भेजने के आदेश को खारिज कर दिया और टिप्पणी किया है कि “गरीब होना कोई अपराध नहीं है”.
मध्य प्रदेश (MP) के टीकमगढ़ निवासी एक कर्जदार को निचली अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए उन्हें जेल भेजने के आदेश जारी किए थे. कर्जदार ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए अपने अधिवक्ता के माध्यम से जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी.
मामले की सुनवाई करते हुए माननीय जबलपुर हाईकोर्ट (HC Jabalpur) ने निचली अदालत द्वारा जेल भेजने के निर्णय को निरस्त कर दिया है. माननीय हाई कोर्ट के जस्टिस डीडी बंसल ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि आर्थिक अभाव में डिग्री की राशि का भुगतान गरीबता या असमर्थता के कारण न कर पाना कोई अपराध नहीं है. कर्जदार के पास भुगतान करने का कोई स्रोत आय का माध्यम नहीं है उसे धन डिग्री का हवाला देते हुए जेल नहीं भेजा जा सकता.
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टीकमगढ़ निवासी एक कर्जदार ने निचली अदालत द्वारा जेल भेजने के पारित आदेश के विरुद्ध अपने अधिवक्ता के माध्यम से जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, हाई कोर्ट में दायर याचिका के माध्यम से कहा गया था कि उसका व्यवसाय बंद हो गया है.
अब कर्ज चुकाने के लिए उसके पास कोई संपत्ति भी नहीं है जिसे वह गिरवी करके कर्ज चुका सके, हाई कोर्ट की एकल पीठ ने अपने आदेश में यह भी लेख किया है कि निष्पादन न्यायालय द्वारा निहित प्रावधानों का पालन नहीं किया गया.
हाई कोर्ट ने दस्तावेजों का विश्लेषण करने के बाद यह भी कहा है कि निष्पादन अदालत ने यह जांच नहीं किया कि याचिकाकर्ता के पास कोई संपत्ति है या नही, या फिर कर्जदार ने मुकदमा लड़ते समय अपनी संपत्ति पत्नी या बेटियों के नाम ट्रांसफर किया है इसकी जांच होनी चाहिए थी.
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